*सामुदायिक सहयोग और प्रशासनिक तत्परता से मां की जान बची* सतपुड़ा एक्सप्रेस छिन्दवाड़ा/ जिले के अनुभाग हर्रई के ग्राम ऊंचाखेड़ा की नव प्रसूता श्रीमती सकलवती की यह कहानी केवल एक मां को बचाने की नहीं हैं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं, सामूहिक प्रयासों, प्रशासनिक और स्वास्थ्यकर्मियों की तत्परता से संकट की घड़ी में मिली सफलता की है।
ग्राम पंचायत मढ़ी के ग्राम ऊंचाखेड़ा की एक 23 वर्षीय ए.एन.सी. महिला सकलवती ने 01 सितंबर 2025 की शाम लगभग 5:00 बजे अपने घर ऊंचाखेड़ा में एक बच्चे को जन्म दिया। प्रसव के दौरान बर्थ कैनाल फटने से उन्हें अत्यधिक रक्तस्राव शुरू हो गया। उनका घर अत्यंत दूरस्थ क्षेत्र में होने के कारण उन्हें तुरंत सब हेल्थ सेंटर या अस्पताल नहीं ले जाया जा सका।
चुनौतियां और सामूहिक प्रयास – जैसे ही स्वास्थ्यकर्मियों को इसकी जानकारी मिली, उन्हें सब-सेंटर लाने के प्रयास शुरू किए गए। उस समय तेज बारिश हो रही थी, बिजली नहीं थी, नेटवर्क नहीं था और सभी के फोन डिस्चार्ज थे। ऐसी परिस्थिति में भी स्वास्थ्य कार्यकर्ता ए.एन.एम ने साहस दिखाते हुए स्कूटी से वहां पहुंचने का प्रयास किया। चूंकि उस दिन साप्ताहिक हाट बाजार था, क्षेत्र के अधिकांश लोग वहां मदद के लिए उपलब्ध नहीं थे।
इस कठिन परिस्थिति में स्थानीय लोगों, एसडीएम अमरवाड़ा, श्री अंगारिया और ग्राम पंचायत मढ़ी के सरपंच के सामूहिक प्रयासों से रात लगभग 7.30 बजे एक ट्रैक्टर की व्यवस्था हो सकी । रात में लगभग चार घंटे के प्रयासों के बाद उन्हें गाँव से चिलक सब-सेंटर तक लाया जा सका। रास्ते में लगातार फोन नेटवर्क से संघर्ष कर स्वास्थ्य टीम और कलेक्टर श्री सिंह को स्थिति से अवगत कराया जाता रहा। रात लगभग 12.30 बजे जब अस्पताल की ओर ट्रैक्टर आ रहा था, तो 2 किलोमीटर पहले ही वह रास्ते में फँस गया। तब महिला के परिजनों, ड्राइवर और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से एक अस्थाई स्ट्रेचर बनाकर कंधों पर उठाकर सकलवती को रात लगभग 2 बजे सब-सेंटर तक पहुँचाया गया।
*स्वास्थ्य विभाग की तत्परता – सब-सेंटर पर स्वास्थ्यकर्मी पहले से ही आपातकालीन दवाओं और आईवी फ्लूड्स के साथ मौजूद थे। वहाँ सकलवती को स्थिर किया गया, आईवी दवाएँ दी गईं और फिर एंबुलेंस से रात में महिला को हेल्थ टीम के साथ बटकाखापा अस्पताल भेजा गया। रात लगभग 3 बजे बटकाखापा पहुंचते ही सकलवती को दो बोतल फ्लूइड दिया गया। इलाज से उसका बुखार नियंत्रित हुआ, रक्तचाप स्थिर हुआ और वह होश में आई, खुद चलकर वॉशरूम भी गई। जिसके बाद बेहतर मॉनिटरिंग के लिए उसे स्वास्थ्य केंद्र हर्रई लाया गया। जहां सुबह लगभग 4.30 बजे उसकी सर्जिकल रिपेयर की गई और अतिरिक्त फ्लूइड दिया गया।
मॉनिटरिंग के बाद भी ब्लड प्रेशर गिरने और रक्त की आवश्यकता पड़ने पर वरिष्ठ गायनकोलॉजिस्ट और एच.ओ.डी गायनिक डिपार्टमेंट से चर्चा उपरांत उसे सुबह 7.30 बजे एम्बुलेंस से जिला अस्पताल भेजा गया। इस दौरान छिंदवाड़ा कलेक्टर श्री शीलेन्द्र सिंह रात में लगातार टीम से पूछते रहे “अभी कहाँ पहुँचे?” जिससे टीम को हिम्मत और मनोबल मिलता रहा। जिला अस्पताल छिंदवाड़ा में वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. डी.पी.महाजन और डॉ. श्वेता पाठक ने पहले से ब्लड की एवं अन्य आवश्यक व्यवस्था कर रखी थीं। महिला के वहां पहुंचते ही तुरंत बल्ड चढ़ाया गया और उसकी हालत स्थिर हो सकी।
*सामूहिक प्रयासों से मिली सफलता –* इस पूरी संघर्षपूर्ण यात्रा में स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन की त्वरित प्रतिक्रिया, ट्रैक्टर ड्राइवर श्री अशोक , पीएचसी बटकाखापा और सीएचसी हर्रई टीम का सक्रिय सहयोग, एन.जी.ओ. सहयोग की तत्परता, जिला अस्पताल छिंदवाड़ा की वरिष्ठ गायनेकोलॉजिस्ट और एच.ओ.डी. गायनिक डिपार्टमेंट डॉ. डी.पी. महाजन और डॉ.श्वेता पाठक का मार्गदर्शन और कलेक्टर श्री सिंह के निरंतर संपर्क में बने रहने व प्रेरणा, इन सभी के सामूहिक प्रयासों से एक मां का जीवन बचाया जा सका।